प्रतिकूल परिस्तिथि मैं भी खुद का बिकाश कैसे करें?
अगसर लोग अपने नाकमाईबी का जिम्मेदार अपने घर या गाँव के बाताबरण को ठहराते है। वे कहते हैं की अगर मेरे पास ये होता तोह सायद मैं ऐसा नहीं होता, अगर मेरे घर के लोग या माता पिता थोड़े और जिम्मरदार होते तोह मैं और भी अच्छा कर सकता था। मगर दोस्तों कीचड मैं भी कमल का फूल खील सकता है, इसलिए अगर मनुष्य अपने इच्छा शक्ति को दृढ़ करे और प्रयाश करना न छोड़े तो वो भी कमल के फूल के तरह ही एकदम से बिपरीत बाताबरण मैं भी बिकाश कर पायेगा और खील उठेगा।
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